
Shiv Tandav Lyrics In Assamese

Shiv Tandav lyrics in Assamese
জটাটবীগলজ্জলপ্রবাহপাবিতস্থলেগলেবলংব্য লংবিতাং ভুজংগতুংগমালিকাম্ |ডমড্ডমড্ডমড্ডমন্নিনাদবড্ডমর্বযংচকার চংডতাংডবং তনোতু নঃ শিবঃ শিবম্ ‖ 1
‖জটাকটাহসংভ্রমভ্রমন্নিলিংপনির্ঝরী–বিলোলবীচিবল্লরীবিরাজমানমূর্ধনি |ধগদ্ধগদ্ধগজ্জ্বলল্ললাটপট্টপাবকেকিশোরচংদ্রশেখরে রতিঃ প্রতিক্ষণং মম ‖ 2
‖ধরাধরেংদ্রনংদিনীবিলাসবংধুবংধুরস্ফুরদ্দিগংতসংততিপ্রমোদমানমানসে |কৃপাকটাক্ষধোরণীনিরুদ্ধদুর্ধরাপদিক্বচিদ্দিগংবরে মনো বিনোদমেতু বস্তুনি ‖ 3
‖জটাভুজংগপিংগলস্ফুরত্ফণামণিপ্রভাকদংবকুংকুমদ্রবপ্রলিপ্তদিগ্বধূমুখে |মদাংধসিংধুরস্ফুরত্ত্বগুত্তরীযমেদুরেমনো বিনোদমদ্ভুতং বিভর্তু ভূতভর্তরি ‖ 4
‖সহস্রলোচনপ্রভৃত্যশেষলেখশেখরপ্রসূনধূলিধোরণী বিধূসরাংঘ্রিপীঠভূঃ |ভুজংগরাজমালযা নিবদ্ধজাটজূটকশ্রিযৈ চিরায জাযতাং চকোরবংধুশেখরঃ ‖ 5
‖ললাটচত্বরজ্বলদ্ধনংজযস্ফুলিংগভা–নিপীতপংচসাযকং নমন্নিলিংপনাযকম্ |সুধামযূখলেখযা বিরাজমানশেখরংমহাকপালিসংপদেশিরোজটালমস্তু নঃ ‖ 6 ‖
করালফালপট্টিকাধগদ্ধগদ্ধগজ্জ্বল-দ্ধনংজযাধরীকৃতপ্রচংডপংচসাযকে |ধরাধরেংদ্রনংদিনীকুচাগ্রচিত্রপত্রক–প্রকল্পনৈকশিল্পিনি ত্রিলোচনে মতির্মম ‖ 7 ‖
নবীনমেঘমংডলী নিরুদ্ধদুর্ধরস্ফুরত্-কুহূনিশীথিনীতমঃ প্রবংধবংধুকংধরঃ |নিলিংপনির্ঝরীধরস্তনোতু কৃত্তিসিংধুরঃকলানিধানবংধুরঃ শ্রিযং জগদ্ধুরংধরঃ ‖ 8 ‖
প্রফুল্লনীলপংকজপ্রপংচকালিমপ্রভা–বিলংবিকংঠকংদলীরুচিপ্রবদ্ধকংধরম্ |স্মরচ্ছিদং পুরচ্ছিদং ভবচ্ছিদং মখচ্ছিদংগজচ্ছিদাংধকচ্ছিদং তমংতকচ্ছিদং ভজে ‖ 9 ‖
অগর্বসর্বমংগলাকলাকদংবমংজরীরসপ্রবাহমাধুরী বিজৃংভণামধুব্রতম্ |স্মরাংতকং পুরাংতকং ভবাংতকং মখাংতকংগজাংতকাংধকাংতকং তমংতকাংতকং ভজে ‖ 10 ‖
জযত্বদভ্রবিভ্রমভ্রমদ্ভুজংগমশ্বস–দ্বিনির্গমত্ক্রমস্ফুরত্করালফালহব্যবাট্ |ধিমিদ্ধিমিদ্ধিমিধ্বনন্মৃদংগতুংগমংগলধ্বনিক্রমপ্রবর্তিত প্রচংডতাংডবঃ শিবঃ ‖ 11 ‖
দৃষদ্বিচিত্রতল্পযোর্ভুজংগমৌক্তিকস্রজোর্–গরিষ্ঠরত্নলোষ্ঠযোঃ সুহৃদ্বিপক্ষপক্ষযোঃ |তৃষ্ণারবিংদচক্ষুষোঃ প্রজামহীমহেংদ্রযোঃসমং প্রবর্তযন্মনঃ কদা সদাশিবং ভজে ‖ 12 ‖
কদা নিলিংপনির্ঝরীনিকুংজকোটরে বসন্বিমুক্তদুর্মতিঃ সদা শিরঃস্থমংজলিং বহন্ |বিমুক্তলোললোচনো ললাটফাললগ্নকঃশিবেতি মংত্রমুচ্চরন্ সদা সুখী ভবাম্যহম্ ‖ 13 ‖
ইমং হি নিত্যমেবমুক্তমুত্তমোত্তমং স্তবংপঠন্স্মরন্ব্রুবন্নরো বিশুদ্ধিমেতিসংততম্ |হরে গুরৌ সুভক্তিমাশু যাতি নান্যথা গতিংবিমোহনং হি দেহিনাং সুশংকরস্য চিংতনম্ ‖ 14 ‖
পূজাবসানসমযে দশবক্ত্রগীতং যঃশংভুপূজনপরং পঠতি প্রদোষে |তস্য স্থিরাং রথগজেংদ্রতুরংগযুক্তাংলক্ষ্মীং সদৈব সুমুখিং প্রদদাতি শংভুঃ ‖ 15 ‖

Hanuman Chalisa Assamese Lyrics: শ্রীহনুমান চালিশা অসমীয়া

Shiv Tandav lyrics in Hindi
जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥
धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।
मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥
सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥
ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥
करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्र कप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥
नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥
प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥
अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥
जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥
दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुंजकोटरे वसन् विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥15॥
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम ॥16॥
पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥17॥

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